Judge cash row: गुजरात हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट, कर्नाटक हाईकोर्ट, लखनऊ बार एसोसिएशन, इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत छह बार प्रमुखों ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के तबादले के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिनके घर से बड़ी मात्रा में कैश बरामद हुआ था। बाद में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली में बार एसोसिएशन के प्रमुखों से मुलाकात की। पत्र में एसोसिएशन ने वर्मा के 30, तुगलक क्रिसेंट स्थित घर से कैश बरामदगी से जुड़े मामले की जवाबदेही और उचित जांच की मांग की है।
इसके अलावा पत्र में आग्रह किया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और जजों की जवाबदेही तय की जाए। बार एसोसिएशनों ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से अनुरोध किया है कि न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण वापस लिया जाए और पहले से वापस लिए गए न्यायिक कार्य के अलावा सभी प्रशासनिक कार्य वापस लिए जाएं।
पक्ष में आया बार एसोसिएशन
एक संयुक्त बयान में कहा गया है, “न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण आदेश को वापस न लिए जाने की स्थिति में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष इलाहाबाद में मिलेंगे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के साथ एकजुटता दिखाएंगे।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ है, क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें पद से हटा दिया था।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय इन-हाउस समिति के इस सप्ताह न्यायमूर्ति वर्मा से मिलने की उम्मीद है। जांच से पहले, उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल, मेनका गुरुस्वामी, अरुंधति काटजू और अधिवक्ता तारा नरूला से कानूनी राय मांगी।
न्यायमूर्ति वर्मा के भाग्य का फैसला
महत्वपूर्ण जांच के निष्कर्ष न्यायमूर्ति वर्मा के भाग्य का फैसला करेंगे, जिन पर आरोप है कि 14 मार्च को आग लगने के बाद उनके घर से “भारतीय मुद्रा नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां” बरामद की गई थीं। न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों को दृढ़ता से खारिज किया है और कहा है कि उनके घर के स्टोररूम में न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी नकदी रखी थी।