कौशांबी: जिले में अवैध बालू खनन का कारोबार चरम पर है। महेवाघाट, पिपरी, सराय अकिल सहित तमाम थाना क्षेत्रों से होकर दिन-रात ओवरलोड बालू से भरी गाड़ियां फर्राटे भरती हुई दौड़ रही हैं। हालात ऐसे हैं कि यमुना नदी के सीने को पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से 24 घंटे छलनी किया जा रहा है। न तो पर्यावरण की चिंता है, न कानून का डर—पूरे जनपद में खनन माफियाओं का ऐसा बोलबाला है कि प्रशासन भी मौन साधे हुए है।
24 घंटे चल रहा खनन, ओवरलोडिंग से मौतें
यमुना के घाटों पर बिना रोकटोक के दिन-रात बालू का खनन हो रहा है। ओवरलोड ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की रफ्तार ने ग्रामीण सड़कों को मौत का मैदान बना दिया है। आए दिन हादसों में निर्दोष लोग जान गंवा रहे हैं, मगर जिम्मेदार अफसर कान में तेल डाले बैठे हैं।
प्रशासन और पुलिस पर सवाल
सूत्रों की मानें तो इस अवैध कारोबार में कई अधिकारी और थाना स्तर के कर्मियों की मिलीभगत है। जगह-जगह ‘परसूओं’ की नियुक्ति कर ली गई है, जो अफसरों की नजरों में धूल झोंकते हुए ओवरलोड बालू गाड़ियों को पास करवा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस पूरे सिस्टम में बड़े पैमाने पर लेन-देन होता है, जिससे बालू माफिया बेखौफ होकर अपना कारोबार चला रहे हैं।
डंपिंग के जरिए लूट का खेल
खनन माफियाओं ने कौशांबी जिले में हजारों जगहों पर बालू डंप कर रखी है। जब घाट सीज़नल रूप से बंद होते हैं या प्रशासन कभी-कभार कार्रवाई करता है, तो ये बालू चार गुना दामों पर बेच दी जाती है। आम जनता लुटती है और माफिया दिन-ब-दिन अरबपति बनते जा रहे हैं।
पर्यावरण और सड़कें दोनों तबाह
अवैध खनन का असर सिर्फ यमुना की पारिस्थितिकी पर ही नहीं, बल्कि सड़कों की हालत पर भी साफ दिखता है। ओवरलोड वाहनों के कारण सड़कें जगह-जगह से टूट चुकी हैं। बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, लेकिन जिले में कोई टिकाऊ समाधान अब तक नहीं निकला।
जनता में आक्रोश, मगर कार्रवाई नदारद
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से बार-बार शिकायत की, मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की गई। कई बार मीडिया रिपोर्टिंग के बाद घाटों को बंद भी किया गया, लेकिन कुछ ही दिनों में काम पहले से ज्यादा जोर पकड़ लेता है।
जरूरी है सख्त कदम
अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन और खनन विभाग इस पूरे अवैध कारोबार पर सख्ती से लगाम लगाए। पुख्ता जांच, जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई और घाटों पर निगरानी के लिए तकनीकी निगरानी व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए।