4 जून 2025 को अमेरिका ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने पूरी दुनिया के व्यापारिक समीकरण बदल दिए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात परटैरिफ (आयात शुल्क) 25% से बढ़ाकर 50%** कर दिया। इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना है, लेकिन इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं।
इसी दिन, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने वेल्स फारगो बैंक पर लगे प्रतिबंध हटा दिए, जिससे वित्तीय बाजारों में हलचल मच गई। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी कि यदि देश एक-दूसरे पर टैरिफ बढ़ाते रहे, तो वैश्विक मंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
अमेरिका ने टैरिफ क्यों बढ़ाए?
अमेरिकी सरकार का तर्क
अमेरिका का कहना है कि चीन, कनाडा और यूरोपीय देश सस्ते स्टील-एल्युमीनियम का निर्यात करके अमेरिकी बाजार को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
इससे अमेरिकी कंपनियाँ बंद हो रही हैं और लाखों नौकरियाँ खतरे में हैं।
ट्रम्प प्रशासन का लक्ष्य “अमेरिका फर्स्ट” (अमेरिका को प्राथमिकता) की नीति को आगे बढ़ाना है।
विरोध क्यों हो रहा है?
कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों का कहना है कि वे अमेरिका के करीबी साझेदार हैं, फिर भी उन पर भी टैरिफ लगाया गया है।
यूरोपीय संघ (EU) ने इसे “व्यापार युद्ध की शुरुआत” बताया है।
भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी चिंतित हैं क्योंकि उनके निर्यात पर भी असर पड़ेगा।
किन देशों और कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा?
कनाडा और मैक्सिको: सबसे बड़े प्रभावित
कनाडा, अमेरिका को सबसे ज्यादा एल्युमीनियम निर्यात करता है।
नए टैरिफ से कनाडा की 50% निर्यात क्षमता प्रभावित होगी।
मैक्सिको ने कहा है कि वह अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत करेगा।
यूरोपीय संघ (EU) की प्रतिक्रिया
जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों की कंपनियाँ अमेरिका को स्टील निर्यात करती हैं।
जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप ने चेतावनी दी है कि इससे उसका मुनाफा 20% तक गिर सकता है।
EU ने कहा है कि वह जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जिससे कारों और वाइन जैसे उत्पाद महँगे हो जाएँगे।
चीन की चाल: दुर्लभ खनिजों पर रोक
चीन ने दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है, जो स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक कारों और सैन्य उपकरणों के लिए जरूरी हैं।
इससे एप्पल, टेस्ला और बोइंग जैसी कंपनियों को नुकसान होगा।
वेल्स फारगो बैंक पर प्रतिबंध हटने का क्या मतलब है?
2018 का घोटाला: क्या हुआ था?
वेल्स फारगो नकली खाते खोलने का आरोप लगा था।
बैंक ने ग्राहकों के नाम से 35 लाख फर्जी खाते बनाए थे ताकि लक्ष्य पूरा हो सके।
इसके बाद फेडरल रिजर्व ने बैंक की ग्रोथ रोक दी थी।
अब क्या बदला?
4 जून 2025 को फेड ने प्रतिबंध हटा लिया, जिससे वेल्स फारगो फिर से विस्तार कर सकेगा।
बैंक अब क्रेडिट कार्ड, होम लोन और वेल्थ मैनेजमेंट पर फोकस करेगा।
शेयर बाजार में इस खबर से वेल्स फारगो के शेयर 3% ऊपर चले गए।
IMF की चेतावनी: क्या दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है:
वैश्विक विकास दर 2025 में केवल 3.1% रह सकती है, जो पिछले 30 सालों में सबसे कम है।
मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ने से तेल, गेहूँ और इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें बढ़ेंगी।
नौकरियों पर खतरा: अगर कंपनियाँ निर्यात नहीं कर पाएँगी, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएँगे।
भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत अमेरिका को स्टील और केमिकल्स निर्यात करता है। नए टैरिफ से टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
अच्छी खबर: भारत चीन के विकल्प के रूप में दुर्लभ खनिजों का निर्यात बढ़ा सकता है।
सरकार की रणनीति: “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देकर घरेलू उत्पादन बढ़ाना।
निष्कर्ष: क्या होगा आगे?
जुलाई 2025 तक फैसला: अमेरिका ने देशों को 8 जुलाई तक नए व्यापार प्रस्ताव देने का समय दिया है।
दो संभावनाएँ:
समझौता होगा: देश आपस में बातचीत करके टैरिफ कम करने पर राजी हो सकते हैं।
व्यापार युद्ध शुरू होगा:अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो दुनिया भर में महँगाई बढ़ेगी और नौकरियाँ जाएँगी।