नितिन केसरवानी की खास रिपोर्ट
भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार भगवान हनुमान का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी कि आज बड़े धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है संगम नगरी प्रयागराज में बड़े हनुमान मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है इसके साथ रंग-बिरंगे फूलों से लेटे हनुमान जी का भव्य श्रृंगार गया है भोर से ही लेटे हनुमान जी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओ की भारी भीड़ लगी है आस्था का विशाल जनसैलाब त्रिवेणी संगम तट पर स्थित लेटे हनुमान जी के मंदिर में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं तड़के मंगला आरती के साथ ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लग गई हैं लेटे हनुमान जी की 20 फीट लंबी और दक्षिणाभिमुखी अद्वितीय प्रतिमा धरातल से लगभग 7 फीट नीचे स्थित है इन्हें ‘बड़े हनुमान जी’, ‘किले वाले हनुमान जी’, ‘लेटे हनुमान जी’ और ‘बांध वाले हनुमान जी’ जैसे नामों से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस प्रतिमा के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबे हैं उनके एक हाथ में राम-लक्ष्मण और दूसरे में गदा सुशोभित है पौराणिक कथा के अनुसार लंका विजय के बाद जब हनुमान जी लौट रहे थे तो संगम तट पर थकान के कारण माता सीता के कहने पर विश्राम के लिए लेट गए यही कारण है कि यहां उनकी शयन मुद्रा में प्रतिमा स्थापित की गई है जो आज असंख्य भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर इस बार श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है कहा जाता है कि बजरंगबली के सामने सम्राट अकबर ने भी घुटने टेक दिए थे मुगल काल में इस मंदिर को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया गया लेकिन हनुमान जी की प्रतिमा को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जा सकी जैसे-जैसे प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया गया वह और अधिक धरती में धंसती चली गई प्रकृति भी यहां हर वर्ष अपने भाव अर्पित करती है कहने का तात्पर्य है कि मां गंगा स्वयं आकर लेटे हुए हनुमान जी को स्नान कराती हैं।
हनुमान जयंती को लेकर मंदिर के महंत बालवीर गिरी जी महाराज बताते हैं कि आज हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर हनुमान जी को 11सौ कलशों से स्नान कराया गया महाभिषेक किया गया इसमें से 25 ब्रह्म कलश के अभिषेक रखे गए थे हनुमान जी महाराज का विशेष महाभिषेक किया गया इसके बाद 56 भोग लगाए जाएंगे आज के दिन पूरे दिन अन्न क्षेत्र चलेगा प्रसाद वितरण किए जाएंगे और दिव्या आरती के साथ भजन संध्या का कार्यक्रम शाम को होगा मंदिर की विशेषता को लेकर बालवीर गिरी जी महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से यह मंदिर स्थित है त्रेता कल में भगवान राम सीता के साथ लंका से वापस आ रहे थे श्रृंगवेरपुर में पुष्पक विमान उतरा था इस कालखंड में हनुमान जी महाराज यहां पर विश्राम कर रहे थे उत्तर प्रदेश में तीन स्थान ऐसे हैं जहां पर हनुमान जी संगम नगरी में विश्राम कर रहे हैं अयोध्या में भोजन प्रसाद और चित्रकूट में स्नान कर रहे हैं लेते हुए हनुमान जी प्रयागराज के कोतवाल के नाम से भी जाने जाते हैं इसलिए हनुमान जी महाराज का विशेष महत्व है।