कौशाम्बी: जिस गैंग ने हजारों प्रतियोगी युवाओं केभविष्य की ईमानदारी पर ग्रहण लगाने की कोशिश की उसका बड़ा खिलाड़ी आखिरकार पुलिस के जाल में फँस ही गया। थाना मंझनपुर पुलिस व एसटीएफ ने एक लाख रुपये के इनामी शातिर गैंगेस्टर आयुष पाण्डेय को कड़ी घेराबंदी कर धर दबोचा।
यह वही आयुष पाण्डेय है, जिसके गैंग की वजह से सैकड़ों मेहनती छात्रों की नींद उड़ी थी। परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र आउट कराने और अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूलने का धंधा इस गिरोह का पेशा बन गया था।
मूल्य नहीं मेहनत का, बिकती थी परीक्षा की ईमानदारी
सूत्रों के मुताबिक आयुष पाण्डेय और उसके साथी युवाओं के भविष्य को एक बोली समझते थे। प्रतियोगी परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी इनसे सवाल-जवाब के कागज खरीदते थे, कीमत थी— लाखों रुपये
गिरोह का मकसद सिर्फ जेबें भरना था, चाहे किसी छात्र का सपना कुचला जाए या किसी गरीब के सालों का परिश्रम।
इस बार खुद प्रश्न बन गया इनामी अभियुक्त!
मऊ निवासी आयुष पाण्डेय लंबे समय से पुलिस की पकड़ से दूर था। प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक ने इस पर एक लाख का इनाम घोषित किया था। लेकिन सूचना तंत्र की पैनी नजर आखिर काम आई। मुखबिर की सटीक सूचना पर थाना मंझनपुर पुलिस व एसटीएफ ने उसे करवरिया शुगर मिल के पास से धर दबोचा।
पकड़े जाने पर कबूलनामा
सपनों की कीमत वसूलता था गहन पूछताछ में आयुष ने माना कि वह अपने गैंग के साथ मिलकर परीक्षाओं के पेपर आउट करता था। इससे मिले पैसों से वह व उसके साथी आलीशान जिंदगी जीते थे। उसके मुताबिक यह धंधा जल्दी पैसा कमाने का रास्ता था, चाहे किसी की जिंदगी बर्बाद हो या न हो।
आपराधिक इतिहास बना लंबी फेहरिस्त
आयुष के खिलाफ प्रयागराज व कौशाम्बी में गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है धोखाधड़ी,जालसाजी, साइबर अपराध तक। फिलहाल पुलिस उसके बाकी नेटवर्क को भी खंगाल रही है।
पुलिस अधीक्षक कौशाम्बी राजेश कुमार के अनुसार
जनपद में ऐसा कोई गैंग या अपराधी नहीं बचेगा, जो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करेगा। पेपर माफिया गिरोहों की जड़े उखाड़ना हमारी प्राथमिकता है।
इस केस से सीख
मेहनत का कोई विकल्प नहीं।
फर्जीवाड़े का पैसा लम्बा नहीं चलता।
पुलिस की नजर अपराधियों से ज्यादा तेज।
यह गिरफ्तारी न केवल एक अपराधी का अंत है, बल्कि उन हजारों युवाओं की उम्मीदों की जीत भी है, जो अपने दम पर परीक्षा पास करने का सपना देखते हैं।