जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज के रूप में शपथ ली। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने जस्टिस यशवंत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर उनका नाम सातवें नंबर पर अपलोड किया गया। न्यायिक कक्ष में जस्टिस यशवंत वर्मा ने पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया था। जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में रहते हुए कैश कांड में घिरे थे।
यह स्थानांतरण ऐसे समय में हुआ है जब उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा था कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा गया है कि वे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद कोई न्यायिक कार्य न सौंपें।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियारिटी लिस्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा नौवें नंबर पर हैं। नौवें नंबर पर होने की वजह से जस्टिस वर्मा एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क और न्यायिक कामकाज भी नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी होने तक उनके न्यायिक कामकाज पर रोक लगाई है। इससे पहले जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने आंदोलन किया था, हालांकि उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की बैठक में हड़ताल खत्म कर काम पर वापस लौटने का फैसला लिया गया था। वकीलों की यह हड़ताल जस्टिस यशवंत वर्मा के न्यायिक कार्य करने पर रोक लगने के बाद स्थगित हुई थी। आंदोलन के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन 26 और 27 अप्रैल को प्रयागराज में नेशनल लेवल की कांफ्रेंस आयोजित करेगा।
जस्टिस वर्मा की इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी 14 मार्च 2025 को होली के दिन एक नाटकीय घटनाक्रम से शुरू हुई। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में स्थित उनके आधिकारिक बंगले (30 तुगलक क्रेसेंट) में आग लग गई। जब दमकलकर्मी आग बुझाने पहुंचे, तो गार्ड क्वार्टर से सटे स्टोर रूम में लगभग 15 करोड़ रुपये नकद मिलने की खबर सामने आई। उस समय जस्टिस वर्मा भोपाल में थे और घटना की सूचना मिलने पर अगले दिन दिल्ली लौटे।
दिल्ली फायर सर्विस के शुरुआती बयान पर भी विवाद हुआ। चीफ अतुल गर्ग ने पहले नकद मिलने की बात से इनकार किया, लेकिन बाद में अपना बयान बदल लिया। जली हुई मुद्रा की तस्वीरें और वीडियो सामने आने से मामला और गंभीर हो गया। दिल्ली पुलिस ने तत्काल मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सूचना दी, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की आपात बैठक बुलाई।
जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “षड्यंत्र” करार दिया। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय को पत्र लिखकर कहा, “मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि मेरे या मेरे किसी परिवारजन द्वारा उस स्टोररूम में कोई नकद नहीं रखा गया। यह दावा कि यह नकद हमारा है, हास्यास्पद है।” उन्होंने यह भी कहा कि स्टोररूम खुला और स्टाफ की पहुंच में था, जिससे संकेत मिलता है कि नकद किसी और द्वारा रखा गया हो सकता है।