श्रृंग्वेरपुर धाम निषादराज गुह्य के मूल वंशज ने परंपरागत विधान से श्रृंग्वेरपुर में “मुख्यमंत्री” का किया अभिनंदन

श्रंग्वेरपुर,प्रयागराज, रामचरितमानस में सुवर्णित श्रृंग्वेरपुर धाम में उ०प्र० के यशस्वी मुख्यमंत्री के प्रथम आगमन पर “निषादराज गुह्य के मूल वंशज” डॉ०बी०के०कश्यप “निषाद” एवं कुलवधू रीता निषाद ने कुल के अन्य सदस्यों के साथ श्रृंग्वेरपुर की प्राचीन परंपरा “अतिथि देवों भव:” का निर्वाह कर पारंपरिक संस्कृति के अनुरूप करते हुए भव्य अभिनंदन किया ।

निषादराज गुह्य के मूल वंशज डॉ०बी०के०कश्यप ने श्रृंग्वेरपुरधाम के चतुर्दिक विकास सहित विशाल एवं भव्य  नवनिर्मित “निषादराज गुह्य उद्यान” के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी का निषाद वंशियो की ओर से हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निषाद समाज के लिए पिछले ७० वर्षों में किसी ने नहीं सोचा किन्तु हमारे प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आपने वो सब कर दिखाया जिसके लिए हमारा समाज आपका युग युगांतर तक आभारी रहेगा।

डॉ०बी०के०कश्यप “निषाद” ने यह भी बताया कि सनातनियों के अराध्य भगवान् श्रीराम का भव्य मन्दिर निर्माण हेतु माननीय प्रधानमंत्री के करकमलों द्वारा भूमि पूजन अनुष्ठान में देश भर के निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करने हेतु मन्दिर न्यास के द्वारा निषादराज गुह्य के मूल वंशज के प्रमुख श्रृंग्वेरपुर से डॉ०बी०के०कश्यप “निषाद” को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था जिससे निषाद वंशियो को गौरव बढा साथ जनवरी 2024 में श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य अनुष्ठान में आमंत्रण की पुनरावृत्ति हुई और श्रीराम मन्दिर न्यास ने निषादराज गुह्य के वंशज डॉ०बी०के०कश्यप “निषाद” को निषाद वंशियों के प्रतिनिधि के रूप आमंत्रित कर पुनः गौरव प्रदान किया ।

श्रृंग्वेरपुर के विकास के विषय में निषादराज गुह्य के वंशज ने बताया कि, इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि श्रृंग्वेरपुर का चतुर्मुखी विकास माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने कराया। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व्यक्तिगत रूचि लेते हुए श्रृंग्वेरपुर धाम का सतत् विकास करवाया।

इससे पूर्व में यह पौराणिक स्थल पूर्णतया उपेक्षित रहा।

निषादराज वंशज ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि, निषादराज का ऐतिहासिक किले को संग्राहलय में परिवर्तित कर पूर्व में उत्खनन से प्राप्त सामग्रियों को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है और स्थानीय निषाद समुदाय को लोगो को उनकी प्रतिभा के अनुरूप व्यवसाय उपलब्ध कराने की योजना सरकार की होनी चाहिए, उन्होंने बताया कि, निषादों के अराध्य निषादराज गुह्य की जयंती चैत्र पंचमी की तिथि के अनुरूप मनाएं जाने का प्रावधान हो।

 

 

 

 

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