कौशाम्बी: कड़ाधाम की देवी माता शीतला की सवारी गर्दभ है इसीलिए मां की सवारी के नाम से कड़ाधाम में आदिकाल से गर्दभ मेले का आयोजन होता आ रहा है। इस अद्भुत गर्दभ मेले में देश के कोने-काने से व्यापारी गर्दभ (खच्चर) को बेचने व खरीदने आते हैं। 51वीं शक्तिपीठ कड़ा धाम में चैत्र माह में तीन दिवसीय गर्दभ मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। इस बार मेला 21, 22 एवं 23 मार्च को संपन्न होगा। इस मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों से व्यापारी गर्दभ को खरीदने और बेचने आते हैं। इस मेले की एक सबसे खास बात यह भी है कि यहां बहुत से व्यापारी अपने बेटे-बेटी का रिश्ता भी तय करते हैं। मान्यता है कि इस मेले में तय किए गए रिश्तों पर मां शीतला की विशेष कृपा होती है और यह रिश्ते काफी सुखद एवं सफल रहते हैं। मेले में ले जाने के पहले व्यापारी अपने गधों को गंगा में स्नान कराते हैं और स्वयं भी गंगा में डुबकी लगाकर धाम स्थित माता शीतला की पूजा आराधना करते हैं। इस अद्भुत मेले में हजारों की संख्या में गधे पहुंचते हैं। सभी व्यापारी अपने-अपने गर्दभ को एक विशेष प्रकार के कोड का इस्तेमाल कर उन्हें एक खास कोड के रंगों से रंगते हैं ताकि भीड़ में अपने गर्दभ को पहचान सकें और उनका पशु भीड़ में कहीं खोने ना पाए। मेले में गर्दभ खरीदने व बेचने के लिए बुधवार की शाम से भी लोगों की भीड़ लग चुकी है।
लगता है गर्दभ श्रृंगार का पूरा बाजार
कड़ा धाम में लगने वाले तीन दिवसीय गर्दभ मेले की विशेषता यह है कि यहां पर हजारों की संख्या में गर्दभ आते हैं। व्यापारी अपने गर्दभ को बेचने से पहले उसे घुँघरू, मेहंदी, रंगीन चित्रकारी, मोहर आदि बांधकर सज़ाते हैं। ऐसे में गर्दभो के श्रृंगार के लिए यहां मेले में पूरा बाजार लगता है।
मां वैष्णो देवी की यात्रा में और होता है उपयोग
कड़ा धाम के गर्दभ मेला से खरीदे गए खच्चर बहुत ही उपयोगी व मजबूत माने जाते हैं। जम्मू कश्मीर एवं पंजाब के व्यापारी यहां से काफी मात्रा में खच्चर व गर्दभ खरीद कर ले जाते हैं और वहां अच्छी कीमतों में इनकी बिक्री करते हैं। खास बात यह है कि यहां के खरीदे गए खच्चर का अधिक उपयोग मां वैष्णो देवी की और अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई में किया जाता है।
जो भी भक्त कड़ा धाम के गर्दभ मेले में मां शीतला के वाहन गर्दभ को सच्चे हृदय और भाव से चना कना दूध पिलाता है और घास (दूब) खिलाता है उनके परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। और हर मनोकामनाएं परिपूर्ण होता है।