युजवेंद्र चहल के तलाक के बीच आरजे महवश ने पोस्ट की रहस्यमयी पोस्ट

ऐसी खबरें आ रही हैं कि स्टार क्रिकेटर युजवेंद्र चहल अपनी अलग हो चुकी पत्नी धनश्री वर्मा को 4.5 करोड़ रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने के लिए सहमत हो गए हैं, जिसके बाद आरजे महवश ने बुधवार को अपने इंस्टाग्राम पर एक रहस्यमयी पोस्ट (एक बार फिर) शेयर की। आरजे महवश के युजवेंद्र चहल को डेट करने की अफवाह उड़ी और पिछले कुछ हफ्तों में उन्हें कई मौकों पर एक साथ देखा गया। चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के दौरान आरजे महवश को टीम इंडिया के लिए चीयर करते हुए देखा गया।

शेयर कीं तस्वीरें

आरजे महवश ने खुद की कई तस्वीरें शेयर कीं। वह सफेद टी-शर्ट पहने हुए दिखाई दे रही हैं, जिसे उन्होंने लाल दिलों से सजे पारदर्शी श्रग और ब्लैक बेल्ट के साथ पहना हुआ है। उनके पोस्ट के कैप्शन ने इंटरनेट का ध्यान खींचा।

उन्होंने लिखा, “झूठ, लालच और फरेब से परे हैं..खुदा का शुक्रिया आज भी खड़े हैं.. (झूठ, लालच और धोखे से दूर… भगवान का शुक्र है, हम आज भी खड़े हैं, आईने में देख रहे हैं)।” युजवेंद्र चहल ने तुरंत पोस्ट को लाइक किया।

आरजे महवश

आरजे महवश की पोस्ट को महत्व मिला क्योंकि बुधवार को चहल के गुजारा भत्ता देने की रिपोर्ट सामने आई।

स्थायी गुजारा भत्ता देने के लिए सहमत हुए चहल

सहमति की शर्तों के अनुसार, चहल वर्मा को उनकी अलग हो चुकी पत्नी को 4 करोड़ 75 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने के लिए सहमत हुए थे। हालांकि, क्रिकेटर ने आज तक केवल 2 करोड़ 37 लाख और 55 हजार रुपये का भुगतान किया है। शेष राशि का भुगतान न करने को अदालत ने गैर-अनुपालन के मामले के रूप में देखा, इसलिए कूलिंग-ऑफ याचिका को खारिज कर दिया गया।

फ़ैमिली कोर्ट करेगी फैसला

बुधवार (21 मार्च) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी अलग रह रही पत्नी धनश्री वर्मा की तलाक याचिका पर 20 मार्च तक फ़ैसला करने के लिए फ़ैमिली कोर्ट को निर्देश दिया है, क्योंकि पंजाब किंग्स के क्रिकेटर 22 मार्च से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 सीज़न में हिस्सा लेंगे।

बार एंड बेंच के अनुसार, दिसंबर 2020 में शादी करने वाला यह जोड़ा जून 2022 से अलग रह रहा है। इस साल फरवरी में ही उन्होंने बांद्रा फ़ैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर करने का फ़ैसला किया था। दंपति ने याचिका के साथ कूलिंग पीरियड को माफ करने के लिए एक आवेदन भी दायर किया।

यह याचिका हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत दायर की गई थी, जिसमें आपसी सहमति से तलाक का सुझाव दिया गया था।

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