रानीपेट: डीएमके और केंद्र के बीच भाषा विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा शुरू करने की अपील की। उन्होंने अपनी मातृभाषा में शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
ठाक्कोलम में सीआईएसएफ की 56वीं स्थापना दिवस परेड को संबोधित करते हुए शाह ने राज्य सरकार से उन अन्य राज्यों से प्रेरणा लेने का आग्रह किया, जिन्होंने पहले ही ऐसी पहल लागू की हैं।
उन्होंने कहा, “मैं तमिलनाडु के सीएम से उन अन्य राज्यों से प्रेरणा लेने का आग्रह करता हूं, जिन्होंने अपनी मूल भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा देने के लिए कदम उठाए हैं। मेरी हार्दिक इच्छा है कि तमिलनाडु भी तमिल में ऐसे पाठ्यक्रम शुरू करे।”
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु ने 2010-11 में कुछ कॉलेजों में सिविल और मैकेनिकल शाखाओं में तमिल में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किए थे। शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवार अब तमिल सहित संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में परीक्षा दे सकते हैं।
उन्होंने कहा, “अभी तक सीएपीएफ भर्ती प्रक्रिया में मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनिश्चित किया है कि हमारे युवा अब अपनी मूल भाषा में सीएपीएफ परीक्षा दे सकें।” तमिलनाडु में सीआईएसएफ क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र का नाम राजदित्य चोल के नाम पर रखने के निर्णय पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “यही वह भूमि है जहां राजदित्य चोल ने वीरता की अनगिनत कहानियां लिखीं, अपने जीवन का बलिदान दिया और चोल वंश की गौरवशाली परंपराओं को आगे बढ़ाया।”
भाषा के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बदलाव किए और अब यह सुनिश्चित किया है कि सीआईएसएफ के उम्मीदवार अपनी संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकें। समाचार एजेंसी पीटीआई ने चेन्नई से लगभग 70 किलोमीटर दूर रानीपेट में आरटीसी थक्कोलम में सीआईएसएफ के 56वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में गृह मंत्री के बयान के हवाले से बताया कि, “अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि परीक्षा तमिल में भी दी जा सकेगी।”