प्रशासन की नींद टूटी: चायल के मोहल्ले में लगा स्वास्थ्य कैंप

*खबर का हुआ असर, स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया*

कौशांबी। गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी लापरवाही पर सोशल मीडिया पर चल रही खबर का अब असर दिखाने लगी है। चायल तहसील क्षेत्र में उपस्वास्थ्य केंद्रों की खस्ताहाली और तैनात चिकित्सकों की गैरहाजिरी पर मीडिया में आई खबरों और ग्रामीणों की शिकायतों के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) संजय कुमार के निर्देश पर बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चायल कस्बे के वार्ड नंबर 5 नईम मियां का पूरा मोहल्ला में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाया। स्वास्थ्य शिविर के आयोजन की खबर सुनकर मोहल्ले और आस-पास लोगो से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। विभाग की ओर से चिकित्सकों की टीम ने मौके पर मौजूद रहकर मरीजों की जांच की, मुफ्त दवाएं वितरित की गईं और महिलाओं-बुजुर्गों की भी स्वास्थ्य समस्याएं सुनी गईं। अब तक सिर्फ कागजों पर चल रही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जब स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी और सीएमओ तक अपनी पीड़ा पहुंचाई, तब जाकर विभाग की नींद खुली। गौरतलब है कि चायल ब्लाक के अंतर्गत 28 गांवों और दो कस्बों में तैनात करीब एक दर्जन सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) और चिकित्सक लंबे समय से अपनी ड्यूटी से गायब चल रहे हैं। कोई मेरठ से ड्यूटी कर रहा था, तो कोई लखनऊ से फोन पर जिम्मेदारी निभा रहा था।
ग्रामीणों के अनुसार चिल्ला शहबाजी, चौराडीह, दनियालपुर, बलीपुर टाटा, पहाड़पुर सुधवर, मीरपुर, महमूदपुर, मनौरी, कसेंदा, रैया देह माफी, मोहम्मदपुर जैसे दर्जनों गांवों के उप स्वास्थ्य केंद्र वीरान पड़े हैं। न डॉक्टर, न एएनएम, न सीएचओ – बस आशा बहुओं और फोन पर मिलने वाले सुझावों से ही गांवों में “स्वास्थ्य सेवा” चल रही थी। सीएमओ डॉ. संजय कुमार ने स्पष्ट किया कि पूरे जिले के उपस्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी बढ़ा दी गई है। जो भी अधिकारी, चिकित्सक या कर्मचारी नियमित ड्यूटी पर नहीं पाए जाएंगे, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “लापरवाह लोगों की सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही बड़ी कार्रवाई होगी।”
ग्रामीण बोले – एक कैंप नहीं, चाहिए स्थायी व्यवस्था
स्वास्थ्य शिविर लगाने पर ग्रामीणों ने संतोष जताया, लेकिन साथ ही मांग उठाई कि केवल कैंप से काम नहीं चलेगा। जब तक तैनात अधिकारी गांवों में नियमित ड्यूटी नहीं करेंगे, तब तक स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकतीं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर दो सप्ताह में सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा।

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