ध्रुव का ओजस्वी चरित्र आज के युवाओं के लिए प्रेरणा- महेन्द्रकृष्ण कन्हैया

दंडीबीर बाबा मंदिर में सात दिवसीय भागवत कथा का तीसरा दिन, महाराज की मधुर वाणी ने भक्तों को किया मंत्रमुग्ध

कौशाम्बी: नगर पालिका परिषद मंझनपुर के सावित्रीबाई फुले नगर वार्ड में स्थित ऐतिहासिक दंडीबीर बाबा मंदिर में सात दिवसीय रुद्र महायज्ञ के साथ आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन आज भक्ति और आध्यात्मिकता के रंग में रंगा। प्रख्यात कथावाचक बाल व्यास महेन्द्रकृष्ण कन्हैया जी महाराज की मधुर और ओजस्वी वाणी ने ध्रुव चरित्र, प्रियव्रत चरित्र, जड़ भरत की कथा, नरक वर्णन, भक्त अजामिल, प्रहलाद की कथा और भगवान नृसिंह के अवतार की कथा का भावपूर्ण वर्णन कर श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया। कथा के साथ निकली नित्य झांकी ने भी मंदिर परिसर को भक्ति-मय बना दिया, जिसमें भगवान के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन कर भक्तों का मन आनंदित हुआ।कथावाचक महेन्द्रकृष्ण कन्हैया जी ने बताया कि यह कथा 2 जून से शुरू हुई और 8 जून तक प्रतिदिन दोपहर से सायंकाल तक आयोजित होगी। कथा के माध्यम से भक्तों को न केवल भगवान की लीलाओं का स्मरण कराया जा रहा है, बल्कि जीवन में नैतिकता, भक्ति और आध्यात्मिकता के महत्व को भी रेखांकित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मन की शांति, आत्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।आज की कथा में ध्रुव चरित्र के माध्यम से बाल भक्त की दृढ़ भक्ति, प्रहलाद की कथा के जरिए भगवान के प्रति अटूट विश्वास और नृसिंह अवतार के प्रसंग से भक्तों की रक्षा में भगवान की शक्ति का चित्रण किया गया। जड़ भरत और अजामिल की कथाओं ने भक्तों को भक्ति के साथ-साथ कर्म और पाप-पुण्य के प्रति जागरूक किया। कथा स्थल पर उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने महाराज की वाणी को श्रद्धा और उत्साह के साथ सुना।आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि इस कथा का आयोजन धार्मिक एकता को बढ़ावा देने, समाज में आध्यात्मिक जागरूकता लाने और भक्तों को भगवत भक्ति के मार्ग पर प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, और कथा स्थल पर भक्ति भजनों और संगीतमय प्रस्तुति ने वातावरण को और अधिक रसमय बना दिया है। प्रत्येक दिन कथा के बाद प्रसाद वितरण का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भक्त उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।आयोजकों ने बताया कि कथा का समापन 8 जून को एक भव्य समारोह के साथ होगा, जिसमें विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों, स्थानीय निवासियों और आसपास के गांवों से आए भक्तों की भारी भीड़ शामिल हो रही है। यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को संजोने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।श्रद्धालुओं ने महाराज की कथा को “जीवन बदल देने वाला अनुभव” बताते हुए कहा कि उनकी वाणी में गजब का जादू है, जो सीधे हृदय को छूता है। मंझनपुर और आसपास के क्षेत्रों में यह कथा चर्चा का केंद्र बनी हुई है, और लोग इसे सुनने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं।

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